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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 6

राजस्थान मरुस्थल एवं लद्दाख के
प्रादेशिक भूगोल के दृष्टिकोण

(Approaches to Regional Geography
of Rajasthan Dessert and Laddkah)

प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

थार का मरुस्थल
(Thar Desert )

थार का मरुस्थल पश्चिमी राजस्थान में विस्तृत है। कुछ भूगोलवेत्ता इसे प्रायद्वीपीय भारत के अध्ययन में सम्मिलित करते हैं, क्योंकि इस क्षेत्र की आधारभूत चट्टानें दक्षिण के पठार का ही विस्तार हैं। अन्य भूगोलवेत्ता विशाल मैदान के साथ इसकी निरन्तरता के कारण इसे गंगा - सतलज के मैदान के अंग के रूप में अध्ययन करते हैं। भौतिक दृष्टि से इस क्षेत्र की अपनी विशिष्टता व समस्याएं हैं, अतः यहाँ इसे एक अलग प्रदेश के रूप में सम्मिलित किया गया है।

थार के मरुस्थल की उत्पत्ति

थार के मरुस्थल की उत्पत्ति के सम्बन्ध में मत भिन्नताएँ हैं। कुछ विद्वान यहाँ बालू की उपस्थिति स्थानीय चट्टानों के विघटन से मानते हैं। किन्तु धरातलीय चट्टानों के प्राथमिक अपरदन के लक्षण जलीय प्रभाव का प्रदर्शन करते हैं। अतः कुछ विद्वानों का मत है कि इस क्षेत्र की जलवायु पहले आर्द्र थी, किन्तु कालान्तर में यहाँ शुष्कता बढ़ती गई तथा यह क्षेत्र एक शुष्क मरुस्थल बन गया। जैसलमेर के निकट आकल में Wood Fossil Park इसका प्रमाण है, जहाँ करोड़ों वर्षों पूर्व के विशाल वृक्षों के अवशेष मिट्टी में दबे हुए मिले हैं। भूगर्भशास्त्रियों का मत है कि यह क्षेत्र पहले एक बहुत ही उपजाऊ भाग था, जहाँ बड़ी-बड़ी नदियाँ बहती थीं। किन्तु भूगर्भिक हलचलों द्वारा इस क्षेत्र के ऊपर उठ जाने से इस क्षेत्र का जल प्रवाह गंगा या सिन्धु नदी में मिल गया तथा यहाँ शुष्कता बढ़ती गई। ला टूश (La Touche) नामक विद्वान ने पश्चिमी राजस्थान में बालू की उपलब्धि के विषय में बताया कि यह मिट्टी यहाँ प्रचलित दक्षिण-पश्चिमी झंझावातों द्वारा लाई गई और पश्चिमी राजस्थान के अधिकांश भागों में जमा हो गई है। वैसे जलवायु की शुष्कता इस क्षेत्र को मरुस्थली रूप देने में सबसे प्रभावशाली कारक है।

भौगोलिक विशेषताएँ

यह मरुस्थल अरावली पर्वत के पश्चिम व उत्तर -पश्चिम में सिन्धु के मैदान तक विस्तृत है। भारत व पाकिस्तान के बीच अन्तर्राष्ट्रीय सीमा इसी क्षेत्र से होकर गुजरती है। थार का मरुस्थल एक निम्न भूमि का प्रदेश है। यह लगभग 150 से 380 मीटर तक ऊँचा, 640 किलोमीटर लम्बा व 160 किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र है। यहाँ तेज हवाएं बालुका- स्तूपों एवं रेत के टीलों का निर्माण करती हैं। ये टीले स्थानान्तरित होते रहते हैं। कहीं-कहीं इन टीलों के बीच में निम्न भूमि मिलती है, जिसे तल्ली कहते हैं। वर्षा का जल भर जाने से ये तल्लियाँ अस्थायी झीलें बन जाती हैं, जिन्हें ढांढ या रन (Rann) कहते हैं। यहाँ सांभर, लूणकरणसर, डीडवाना, पचपद्रा आदि खारे पानी की मुख्य झीलें हैं। इनमें नमक तैयार किया जाता है।

पवनों द्वारा बालुका स्तूपों के स्थानान्तरण एवं बालू के उड़ने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि थार का मरुस्थल प्रतिवर्ष एक किलोमीटर की गति से पूर्व की ओर बढ़ रहा है। इसके प्रसार को रोकने के लिये वृक्षों की पंक्तियाँ लगाई गई हैं, अर्द्ध-मरुस्थली वनस्पति उगाई गई है एवं केन्द्रीय मरू क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (CAZRI) अन्य उपाय भी कर रहा है। इन्दिरा गांधी नहर के पूरा हो जाने पर इससे प्राप्त सिंचाई की सुविधा से इस मरुस्थल की कायापलट हो जायेगी। इस नहर का निर्माण कार्य इसी सम्भावना का लाभ उठाने के लिये पूर्णता की ओर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है।

थार के मरुस्थल का महत्व

(1) ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक गर्म हो जाने से यहाँ पर गहन निम्न दाब बन जाता है, जो दक्षिणी-पश्चिमी मानसून को तीव्रता से आकर्षित करता है।

(2) यहाँ के कम वर्षा वाले क्षेत्रों के चारागाहों में पशुपालन महत्वपूर्ण व्यवसाय है।

(3) यहाँ कई प्रकार के खनिज पाये जाते हैं। अभ्रक, जिप्सम, एसबैस्टोस, कोयला, तांबा, घीया पत्थर, संगमरमर, इमारती पत्थर, रॉक फॉस्फेट, फेल्सपार, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस आदि मुख्य हैं।

(4) मिट्टियाँ उपजाऊ होने के कारण, जल उपलब्ध हो जाने की स्थिति में कृषि विकास की सम्भावनाएँ हैं।

(5) भौतिक विविधता के कारण यह पर्यटक आकर्षण का क्षेत्र है। जैसलमेर में भरने वाला वार्षिक मरू मेला इसकी पुष्टि करता है।

(6) पाकिस्तान के साथ सीमा पर स्थित होने के कारण इसका सुरक्षात्मक महत्व है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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